महाराष्ट्र चुनाव 2024: बागी नेता बढ़ा रहे हैं महायुति और एमवीए की मुश्किलें
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 से पहले बागी नेताओं ने सत्ताधारी महाविकास आघाड़ी (एमवीए) और विपक्षी महायुति के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। बागी नेताओं के एमवीए और महायुति दोनों से जुड़ने से दोनों गठबंधनों को अपने नाराज़ नेताओं को मनाने में पसीना छूट रहा है।
एमवीए से बगावत
पिछले साल जून में शिवसेना के एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के 40 विधायकों के साथ बगावत कर दी थी। इसके बाद शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर सरकार बनाई। इससे एमवीए की सरकार गिर गई।
महायुति में घुसपैठ
शिंदे की बगावत के बाद से कई अन्य एमवीए विधायकों ने भी बगावत कर महायुति का दामन थाम लिया है। भाजपा और शिंदे गुट के बीच गठबंधन से महायुति को महाराष्ट्र में अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका मिला है।
नाराज़ नेताओं को मनाने की चुनौती
बागी नेताओं के कारण एमवीए और महायुति दोनों को अपने नाराज़ नेताओं को मनाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। एमवीए के नेता शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के संजय राउत और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अजीत पवार बागियों को वापस लाने की कोशिश में जुटे हैं। दूसरी ओर, भाजपा और शिंदे गुट भी उन नेताओं को अपने साथ मिलाने की कोशिश कर रहे हैं जो एमवीए और महायुति से नाराज चल रहे हैं।
चुनाव परिणाम पर असर
बागी नेताओं का एमवीए और महायुति के बीच उतार-चढ़ाव चुनाव परिणामों पर महत्वपूर्ण असर डाल सकता है। अगर बागी नेता अपने समर्थन वाली पार्टियों के साथ बने रहते हैं तो इससे दोनों गठबंधनों को जीत हासिल करना मुश्किल हो जाएगा। हालांकि, अगर बागी नेता अपने मूल दलों में लौटते हैं तो इससे चुनाव परिणामों पर भी असर पड़ सकता है।